वरुथिनी एकादशी व्रत करने से मिलती है सभी पापों से मुक्ति

वरुथिनी एकादशी व्रत की महिमा का पता इसी बात से चलता है कि सभी दानों में सबसे उत्तम तिलों का दान कहा गया है और तिल दान से श्रेष्ठ स्वर्ण दान कहा गया है और स्वर्ण दान से भी अधिक शुभ इस एकादशी का व्रत करने का उपरान्त जो फल प्राप्त होता है, वह कहा गया है।



वरुथिनी एकादशी वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत करके जुआ खेलना, नींद, पान, दातुन, परनिन्दा, क्षुद्रता, चोरी, हिंसा, रति, क्रोध तथा झूठ को त्यागने का माहात्म्य है। ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है। इस व्रत को करने वाले को हविष्यान खाना चाहिए तथा व्रती के परिवार के सदस्यों को रात्रि को भगवद् भजन करके जागरण करना चाहिए।