पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का आज है जन्मदिन छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वंयसेवक के कार्यकर्ता थे


पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज 103 वीं जयंती है। उनका जन्म 25 सितंबर 1916 को हुआ था। वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता भी थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत किया और देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। उन्होंने कांग्रेस के भीतर के मनमुटाव के कारण पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी।


उनका जन्म मथुरा जिले के नगला चन्द्रभान ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था। ये नगला चंद्रभान (फरह, मथुरा) के निवासी थे। माता का नाम रामप्यारी था, वो धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। पिता रेलवे में जलेसर रोड स्टेशन पर सहायक स्टेशन मास्टर थे। रेल की नौकरी होने के कारण उनके पिता का अधिक समय बाहर ही बीतता था। कभी-कभी छुट्टी मिलने पर ही घर आते थे। दो वर्ष बाद दीनदयाल के भाई ने जन्म लिया, उसका नाम शिवदयाल रखा गया। पिता भगवती प्रसाद ने बच्चों को ननिहाल भेज दिया। उस समय उनके नाना चुन्नीलाल शुक्ल धनकिया (जयपुर, राज०) में स्टेशन मास्टर थे।दीनदयाल जब तीन साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया। पति की मृत्यु से उनकी मॉ रामप्यारी को अपना जीवन अंधकारमय लगने लगा। वे अत्यधिक बीमार रहने लगीं। उन्हें Tuberculosis(क्षय रोग) लग गया। 8 अगस्त 1924 को उनका भी देहावसान हो गया। उस समय दीनदयाल की उम्र 7 साल हो गई थी।


उन्होंने पिलानी, आगरा तथा प्रयागराज में शिक्षा प्राप्त की। बी०.एससी० बी०टी० करने के बाद भी उन्होंने नौकरी नहीं की। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हो गए थे। अत: कालेज छोड़ने के तुरन्त बाद वे उक्त संस्था के प्रचारक बन गए और एकनिष्ठ भाव से संघ का संगठन कार्य करने लगे।