स्वास्थ्य सेवाओं पर बोले मोदी, हमारा अनुभव सभी विकासशील देशों के इस्तेमाल के लिए हैं उपलब्ध



सभी को किफायती, समावेशी और सुगम स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नए प्रयास शुरू करने के वास्ते शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ।




न्यूयॉर्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वस्थ जीवन पर हर व्यक्ति के अधिकार पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि किफायती स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं मुहैया कराने में भारत का अनुभव और क्षमताएं सभी विकासशील देशों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है। 'सार्वभौम स्वास्थ्य देखभाल' पर आयोजित अब तक कीपहली उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य का मतलब केवल रोगों से मुक्त होना नहीं है। स्वस्थ्य जीवन पर सभी लोगों का अधिकार है। उन्होंने एक बैठक में कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कोशिश करने की जिम्मेदारी हमारी सरकार पर है।


सभी को किफायती, समावेशी और सुगम स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नए प्रयास शुरू करने के वास्ते शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। मोदी ने कहा कि किफायती स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर भारत की कोशिशें केवल उसकी सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस दायित्व के तहत, आयुर्वेद, योग और टेली मेडिसिन के रास्ते भारत अनेक देशों, खासकर अफ्रीकी देशों की किफायती स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच बढ़ा रहा है और हम ऐसा करते रहेंगे। हमारा अनुभव और हमारी क्षमताएं सभी विकासशील देशों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हैं।


मोदी ने महासभा सभागार में सोमवार को महासचिव एंतोनियो गुतारेस द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में अपना कार्यक्रम शुरू किया। मोदी ने कहा कि विश्व का कल्याण, लोगों के कल्याण के साथ शुरू होता है और स्वास्थ्य इसका एक महत्वपूर्ण घटक है। इस वैश्विक सिद्धांत के अनुरूप भारत स्वास्थ्य पर बड़ा ध्यान दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र की दिशा में कई तरह के कदम उठाए हैं और इसके चार प्रमुख स्तम्भों-एहतियाती स्वास्थ्य, किफायती स्वास्थ्य देखभाल, आपूर्ति पक्ष में हस्तक्षेप और हस्तक्षेप को मिशन आधार पर चलाने-पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।


उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के एहतियाती स्वास्थ्य देखरेख कार्यक्रम का एक और आयाम 1,25,000 से अधिक वेलनेस सेंटर खोलने का है तथा देश टीकाकरण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। मोदी ने कहा कि इनकी मदद से मधुमेह, रक्तचाप, अवसाद आदि जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। ई-सिगरेट के हानिकारक प्रभावों पर चिंता जताते हुए मोदी ने कहा कि ई-सिगरेट का बढ़ता चलन हमारे लिए चिंता का विषय है'' जिसके चलते भारत ने 'युवाओं को इस गंभीर समस्या से बचाने' के लिए इस उत्पाद को प्रतिबंधित कर दिया।


उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान ने लाखों लोगों की जिंदगियां बचाने में योगदान दिया है और सरकार ने टीकाकरण पर भी खास ध्यान दिया है। मोदी ने कहा कि इसके अलावा, नए टीके लाने के साथ ही, हम अपने टीकाकरण कार्यक्रम को दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना 'आयुष्मान भारत' सहित ऐतिहासिक कदम उठाए हैं जो सफलतापूर्वक क्रियान्वित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत 50 करोड़ गरीबों को हर साल पांच लाख रुपये तक के नि:शुल्क उपचार की सुविधा दी गई है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पांच हजार से अधिक जन औषधि केंद्र भी खोले हैं जहां 800 से अधिक प्रकार की दवाएं उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं।


उन्होंने कहा कि भारत का ध्यान गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए आधुनिक संस्थानों की स्थापना पर रहा है। मोदी ने कहा कि महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के क्रम में राष्ट्रीय पोषण अभियान और अन्य नए कार्यक्रम मिशन आधार पर शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर मां और बच्चे स्वस्थ हैं तो यह स्वस्थ समाज की नींव रखेगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने जहां सतत विकास लक्ष्यों के लिए 2030 तक की समयसीमा तय की है, वहीं भारत ने क्षय रोग के खात्मे के वास्ते अपने लिए 2025 तक की समयसीमा निर्धारित की है।


साथ ही उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण और पशुओं के जरिए फैलने वाली बीमारियों के खिलाफ भी अभियान शुरू किया गया है। मोदी ने अपने संबोधन का समापन संस्कृत के श्लोक 'सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया:' से किया जिसका अर्थ है 'सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें'।