चित्र गुप्त जी गुप्त लेख अर्थात भाग्य के लेखक



भारतीय संस्कृति में लेखन कार्य हेतु 2 देव प्रसिद्ध है 1 गणेश जी जिनका पूजन आदि पूज्य होने के नाते प्रथम हो चुका वह प्रकट लेख अर्थात पुराण लेखन हेतु प्रसिद्ध है,श्री चित्र गुप्त जी गुप्त लेख अर्थात भाग्य के लेखक है।दीपावली में हम पांच दिनों में 33 कोटि देवताओ का सहजता से पूजन कर लेते है।यही खास बात इस पर्व को अधिक महत्त्वपूर्ण बनाती है।


 





एक धर्मग्रंथों में आया है कि श्री सूर्य नारायण से आरोग्य, भोले भंडारीसे ज्ञान, देवी मां से ऐश्वर्य, हनुमान जी से शक्ति, कार्तिकेय जी से सैन्य रूप सफलता, भैरव जी से निडरता और गणेश जी से मंगल व यश की कामना की जाती है। ठीक चित्रगुप्त उसी प्रकार जो सभी के लेखनी की इच्छा- कामना को सहज ही पूर्ण करते हैं, उनका नाम इतिहास चित्रगुप्त है।ऐसे तो चित्रांशसहित कितने हीजन चित्रगुप्त देव श्री चित्रगुप्त की नित्य आराधना किया करते हैं, पर हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को विराजमान SOLGT इनका वार्षिक उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है।


पद्य पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्मपुराण, यमसंहिताव याज्ञवलक्य स्मृति सहित कितने ही धार्मिक ग्रंथों में भगवान चित्रगुप्त का विवरण आया है। श्री चित्रगुप्त जी की उत्पत्ति सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की काया से हुई है। ब्रह्मा जी की काया से संबंध होने के कारण इस वंश को कायस्थ कहा गया। चित्रगुप्त जी की उत्पत्ति की एक और कथा है कि देवताओं और असुरों ने अमृत के लिए समुद्र मंथन किया था, तो उसमें कुल 14 रत्नों की प्राप्ति हुई। उसी में लक्ष्मी जी के साथ श्री चित्रगुप्त जी की भी उत्पत्ति हुई। मान्यता है कि श्री चित्रगुप्त जी ने ज्वालामुखी, चण्डी देवी व चार महिषासर मर्दिनी की पजा- धामों के अर्चना और साधना कर चित्रगुप्त जी के एक आदर्श कायम किया।