पढ़ाई में रटने के बजाय सीखने और विकास पर जोर

  हमारे देश में पढ़ाई का फोकस रटने की जगह सीखने और बच्चों के विकास पर होगा।  अब बोर्ड परीक्षा में बच्चे अपनी पसंद के विषय चुन सकेंगे। बोर्ड परीक्षाएं अब आसान बनाई जाएगी, जिससे की बच्चों के ज्ञान को जांचा जा सके न कि उनके रटने की क्षमता को। इसी मकसद से सरकार ने बोर्ड परीक्षा के महत्व या हौव्वा को कम करने का फैसला किया है। अब बोर्ड परीक्षा एक शैक्षणिक सत्र में एक बार के बजाय छह-छह महीने के अंतराल पर दो बार आयोजित होगी।


केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा जल्द ही पारित की जाने वाली नई शिक्षा नीति का दृष्टिकोण स्पष्ट है कि मौजूदा परीक्षा के तरीके जिसमें बोर्ड परीक्षा भी शामिल है, देश में कोचिंग की संस्कृति विकसित कर रहे हैं। इससे माध्यमिक स्तर के छात्रों का अहित हो रहा है। क्योंकि वे अपने समय का उपयोग विस्तृत ज्ञान अर्जित करने के बजाय केवल कुछ ही चीजों को सीखने में लगाते हैं, जिससे कि वे परीक्षा में अच्छे अंक ला सके। इसके लिए एनसीईआरटी अगले वर्ष तक नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2020 तैयार करेगी। अभी तक स्कूली शिक्षा नेशनल करिकुल फ्रेमवर्क 2005 के तहत चल रही है। नया पाठयक्रम तैयार किया जाएगा और 2022 में होने वाली परीक्षा इसी पाठ्यक्रम के आधार पर होगी।