अंग्रेजी से हिंदी और हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद कार्य के लिए पारिश्रमिक/मानदेय के सम्बन्ध में

अंग्रेजी से हिंदी और हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद कार्य के लिए पारिश्रमिक देने के संबंध में राजभाषा विभाग के दिनांक 25.2.2005 के कार्यालय ज्ञापन सं 13017/2/96-रा0भा0 (नी0स0) तथा 21/26 जुलाई,2010 के का.ज्ञा.सं.13017/1/2010-रा.भा.(नी.स.) का अधिक्रमण करते हुए ये आदेश जारी किए जा रहे हैं। राजभाषा अधिनियम, 1963 तथा राजभाषा नियम, 1976 के प्रावधानों तथा इनके अंतर्गत समय-समय पर जारी किए गए आदेशों के अनुसार कई कार्यों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं का प्रयोग किया जाना है तथा कई कार्य केवल हिंदी में ही किए जाने हैं। कई कार्यालयों में अनुवाद की समस्या के कारण इन आदेशों का अनुपालन सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है। इस समस्या के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के बाद यह तय किया गया है कि केन्द्र सरकार के कार्यालयों, जिनमें अनुवादक के पद नहीं हैं या जिनमें अनुवाद कार्य की अधिकता की वजह से उपलब्ध अनुवादक अनुवाद कार्य पूरा नहीं कर पाते, वहां अनुवाद कार्य पारिश्रमिक के आधार पर करवाया जाए तथा पारिश्रमिक की दरें आकर्षक रखी जाएं। संहिताओं, नियम पुस्तकों, आदि के तकनीकी स्वरूप के अनुवाद कार्य सहित सभी प्रकार के अनुवाद कार्य की पारिश्रमिक की नई दरें 250/-रूपए प्रति हजार शब्द देय होगी। पारिश्रमिक/मानदेय स्वीकृत करते हुए निम्न लिखित बातें ध्यान में रखी जाएं:(क) अनुवाद कार्य सेवा निवृत्त या दूसरे कार्यालयों के अधिकारियों/कर्मचारियों से करवाया जा सकता है। इसके लिए उचित होगा कि प्रत्येक कार्यालय अपने यहां योग्य व्यक्तियों का पैनल तैयार रखें।


अनुवाद कार्य इस बात को ध्यान में रखते हए सौंपा जाना चाहिए कि यह संबंधित व्यक्तियों की सामान्य सरकारी डयूटी तथा उत्तरदायित्वों के कुशलता पूर्वक निर्वहन में बाध्यकारी न हो। हिंदी से संबंधित पदाधिकारियों से पारिश्रमिक के आधार पर अनुवाद नहीं करवाया जाए। विभागाध्यक्ष यह प्रमाणित करें कि अनुवाद करवाना आवश्यक था और वास्तव में उतने शब्दों का अनुवाद किया गया जिसके लिए पारिश्रमिक स्वीकृत किया जा रहा हैइस पारिश्रमिक/मानदेय स्वीकृत पर होने वाला खर्च संबंधित कार्यालय द्वारा अपने स्वीकृत बजट से किया जाएगा। जो व्यक्ति पहले से ही हिंदी जानते हैं या जिन्होंने हिंदी की परीक्षा पास करके हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है, उन्हें सामान्यत: हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए प्रयास यह किया जाए कि जो पत्र हिंदी में जाने हैं उनके मसौदे हिंदी जानने वाले अधिकारी और कर्मचारी मूल रुप में हिंदी में ही तैयार करेंजहां ऐसा करने में कठिनाई हो या कोई पत्र, परिपत्र आदि हिंदी-अंग्रेजी दोनों भाषाओं में जारी होना हो तभी अनुवाद का सहारा लिया जाए।


कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 17.7.1998 की का.जा.सं. 17011/3/97-स्था.(भत्ते) के अनुसार मानदेय की अधिकतम सीमा राशि 5000/-रु. प्रतिवर्ष है।  केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, जहां विभिन्न मंत्रालयों विभागों /निकायों तथा कार्यालयों के मैनुअलों, संहिताओं व फार्मा आदि के विविध असांविधिक कार्य विधि साहित्य का अनुवाद किया जाता है, में अनुवाद कार्य में कार्यरत तथा ब्यूरो के बाहर के अनुवादकों जिनमें कार्यरत तथा सेवा-निवृत्त अनुवादक/अनुवाद अधिकारी/हिंदी अधिकारी तथा अनुवाद कार्य या अनुवाद प्रशिक्षण से संबद्ध अनुभवी सरकारी एवं गैर-सरकारी व्यक्ति हो सकते हैं, के द्वारा करवाया जा सकता है। आवश्यकता होने पर विभिन्न मंत्रालय । विभाग / कार्यालय भी सरकारी सेवा से सेवा-निवृत्त योग्य व्यक्तियों/गैरसरकारी व्यक्तियों का पैनल बना कर उपरोक्त दर से पारिश्रमिक देकर उनसे अनुवाद कार्य करवा सकते हैं4. सेवानिवृत योग्य व्यक्तियों द्वारा अनुवाद कार्य कराने पर उनको देय राशि मानदेय न होकर पारिश्रमिक है अतः सेवानिवृत योग्य व्यक्तियों को अनुवाद कार्य के लिए दी जाने वाली राशि पर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 17.7.1998 मानदेय सीमा लागू नहीं होगी।


सौजन्य से जनवादी ग्रुप