*संबंध कभी भी*
*सबसे जीतकर*
*नहीं निभाए जा सकते*
*❣संबंधों की खुशहाली के लिए*
*झुकना होता है,*
*सहना होता है,*
*दूसरों को जिताना होता है*
*और*
*स्वयं हारना होता है .*।। सुप्रभातम ।। *प्रशान्त मिश्र 'कुशल', जिला धर्म जागरण प्रमुख, आरएसएस बहराइच*