राजकीय कॉलेजों में शिक्षको की भर्ती में  इतना विलंब क्यों?

शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में यदि इतना ही विलंब होता रहा तो राजकीय कॉलेजों के हाल में सुधार आ पाना मुश्किल


 राज्य सरकार ने दो साल पहले जब राजकीय इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति का जिम्मा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को देने का फैसला किया था तो यह उम्मीद की गई थी कि जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, आयोग ने  परीक्षा तो कराई, परन्तु  राजकीय कालेजों को अब भी शिक्षकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।  ऐसे में पठन-पाठन की क्या स्थिति होगी, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। अब भी अगले सत्र में सिर्फ 40 प्रतिशत पदों पर ही नियुक्तियां होने की संभावना है, जिससे यह तय है कि आने वाले दिनों में भी राजकीय इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की किल्लत बनी रहेगी।


सबसे अधिक समस्या यह है कि अधिकांश विद्यालयों में गणित और विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं, जिनका विकल्प ढूंढ़ पाना भी मुश्किल है। इनमें भर्ती के लिए उप्र लोकसेवा आयोग ने 15 विषयों में एलटी ग्रेड के 10768 पदों की परीक्षा कराई थी। विडंबना यह कि पेपर लीक हो जाने की वजह से हिंदी व सामाजिक विज्ञान का रिजल्ट फंस गया। बाद में आयोग ने 13 विषयों के 7481 पदों का रिजल्ट तो जारी किया, लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि इसमें कंप्यूटर, विज्ञान व गणित विषय में योग्य शिक्षक ही नहीं मिल सके और 3198 पद खाली रह गए सबसे अधिक पद 1673 कंप्यूटर विषय के थे। इनमें तो सिर्फ 36 अभ्यर्थी ही मिल सके।