लोहड़ी त्यौहार कब और कैसे मनाया जाता है जानिए दिनांक और महत्व

दिनांक और महत्व


लोहड़ी  का त्यौहार भारत में 14 जनवरी को मनाया जाएगा। यह भारत के पंजाब प्रांत का बहुत बड़ा और प्रसिद्ध त्यौहार है। पूरा पंजाबी समुदाय इसे बेहद खुशी, उत्साह से नाच गाकर मानता है। यह पर्व शरद ऋतु के अंत मे मनाया जाता है। इसे हर्ष और खुशी का प्रतीक माना जाता है। लोहड़ी का त्यौहार पंजाबी समुदाय के साथ साथ अन्य समुदाय के लोग भी बढ़ चढ़कर मनाते हैं। लोहड़ी को मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है नए साल की शुरूआत के साथ ही लोहड़ी की तैयारियां भी शुरू हो जातीं है।  सर्दी होने के चलते अब तक रातें बड़ी और दिन छोटे होते थे लेकिन इस त्यौहार के बाद रातें छोटी और दिन बड़े होने शरू हो जाते हैं। इस दिन के बाद से ही ऋतु परिवर्तन होने लगता है और धीरे धीरे गर्मियां दस्तख़ देतीं है।


लोहड़ी त्यौहार की मान्यता


 हिन्दू कैलेंडर के अनुसार लोहड़ी पर्व को विक्रम संवत एवं मकर संक्रांति से जोड़ा गया है। इस त्यौहार को शरद ऋतु के समापन पर मनाने का प्रचलन है साथ ही इस त्यौहार को किसानों के लिए नूतन वर्ष माना जाता है। लोहड़ी को मनाने के पीछे एक कहानी भी जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया तब कंस बाल कृष्ण को मारने के लिए नित्य नए प्रयास कर रहा था। एक बार जब सभी लोग मकर संक्रांति का पर्व मनाने में व्यस्त थे तब कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए ‘लोहित’ नाम की राक्षसी को गोकुल भेजा था। उस राक्षसी को बाल कृष्ण ने खेल खेल में ही मार डाला था। लोहित नाम की राक्षसी के नाम पर ही लोहड़ी उत्सव का नाम रखा गया था। उसी की याद में लोहड़ी का पावन पर्व मनाया जाता है।


लोहड़ी पर्व से जुड़ी परम्पराएं


खुशियां और प्यार बांटने का पर्व लोहड़ी को पूरे जोश व धूम धाम के साथ मनाया जाता है। मुख्य रूप से पंजाबी समुदाय के लोग अग्नि को साक्षी मानकर पूजा करते है फिर रेबड़ी-गज्जक का प्रसाद खाते व बाँटते हैं। स्त्रियां पंजाबी लिबास में सज धज कर बेहद खूबसूरत लगतीं हैं। इन सभी का एक साथ लोक नृत्य करना व गाने गाना बहुत मनमोहक लगता है। हँसतें खिलखिलाते खूबसूरत चहरे ठंड भरी रात में ऊर्जा का संचार करते हैं। इस दिन लोग अपनी विवाहित बेटियों को आदर सम्मान के साथ घर बुलातें हैं और उनके साथ इस त्यौहार को मानतें है।